Sunday, 17 September 2017

हद दर्जे की बेशर्मी

पहले लगता था कि यह जिद्दीपना है, फिर लगा कि ढिठाई है, लेकिन अब पता चल रहा है कि ये तो बेशर्मी है. हद दर्जे की बेशर्मी .... देख रहे हैं?? दूसरों पर आरोप लगाकर इस्तीफे की मांग करने वाला अपने पर लगे आरोपों पर कैसे चुप साध कर बैठ गया है. भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब एक मंत्री अपने मुख्यमंत्री पर दूसरे मंत्री से रिश्वत ( या काली कमाई में हिस्सा) लेने की बात कह रहा हो, और यह भी कह रहा हो कि तीनों की लाइ डिटेक्टर से जांच करवा ली जाए.

और ऐसे में मुख्यमंत्री महोदय जवाब देने के बजाए ई वी एम मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुला रहे हैं.
हो सकता है कि कपिल मिश्रा मनगढ़ंत बात कह रहे हों. वह भी तो अरविन्द जी के पक्के शिष्य रहे हैं. यह भी हो सकता है कि मामला लूट में उनके हिस्से का रहा हो. बहरहाल, अगर आप बेदाग़ हैं तो फिर घर से निकल कर जवाब दीजिये न! सच्चे को किसका डर. ज्यादा हो तो लाइ डिटेक्टर की चुनौती भी स्वीकार कीजिए. हमारे यहाँ तो ऐसे नेता भी हुई हैं , जिन्होंने ज़रा सी उंगली उठने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अभी एक- डेढ़ दशक पहले आडवाणी जी भी ऐसा कर चुके हैं. किसी हवाला कारोबारी जैन की डायरी में उनका नाम लिखा हुआ मिला तो उन्होंने तुरंत संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, और मामला में पूरी तरह से निर्दोष पाए जाने पर ही दिबारा संसद में आए. संयोग से यहाँ भी हवाला कारोबारी मंत्री जैन साहब का ही मामला है.

तो फिर हे धर्मराज , इस्तीफ़ा न सही बयान तो दे दीजिए. घर में क्यों घुसे बैठे हैं. माना कि पंजाब और दिल्ली की पराजय के बाद आपका बयान इसलिए नहीं आया क्योंकि उसदिन आपको दस्त लग गए थे. लेकिन अब तो तीन दिन हो गए. इस बार के दस्त तो अब तक ठीक हो गए होंगे युगपुरुष जी? आप तो नारा देते थे... निकलो बंद मकानों से .... जंग लड़ो बेइमानों से.......अब जंग लड़ें - न लड़ें, बाहर निकल कर खुद अपने घर के बाहर फैले इस रायते को तो समेट दीजिए.

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