Tuesday, 5 May 2015

सवाली – ख्याली सीरीज़ 5 ( मेरा खुदा, तुम्हारा अल्लाह)

(सवाली शर्मा और ख्याली खान के बीच बातचीत)

सवाली - दद्दू ये अल्लाह हाफ़िज़ क्या होता है.
ख्याली - ये दुआ है बेटा, जिसका मतलब है - ईश्वर तुम्हारी हिफाज़त करे

सवाली - तो फिर खुदा हाफ़िज़ क्या होता है?
ख्याली - ख़ुदा हाफ़िज़ भी वही होता है पागल.

सवाली - लेकिन पहले तो हिफाज़त खुदा किया करता था, अब अल्लाह क्यों कर रहा है? ड्यूटी बदल गयी है क्या?
ख्याली - फारसी वाला खुदा ठीक से शायद हिफाज़त न कर पा रहा हो, इसलिए अरबी वाले अल्लाह ने ड्यूटी संभाल ली होगी. वैसे ये बताओ- जय राम और राम- राम का जय श्री राम हो सकता है, तो खुदा हाफ़िज़ का अल्लाह हाफ़िज़ क्यों नहीं हो सकता? अच्छा अब बातें बंद. मैं सलात पढने जा रहा हूँ.

सवाली - सलाद पढने की नहीं, खाने की चीज़ है दद्दू.
ख्याली - तेरे मुंह में कीड़े पड़ें कम्बख्त. अबे गधे, बेअक्ल, सलात माने नमाज़ होता है. या अल्लाह, इस गधे को माफ़ी अता कर. इसको पता नहीं ये क्या बोल गया. शुक्र कर गधे कि यहाँ बोला, कहीं बॉर्डर के उस तरफ ऐसा बोल जाता तो अब तक तो तेरी बोटियाँ कुत्ते नोच रहे होते.

सवाली - माफी चाहता हूँ दद्दू. तुम्हारे मज़हब के बारे में कम जानता हूँ न.
ख्याली - तो अब जानो बेटा. एक- दूसरे के बारे में न जानने से ही सब गड़बड़ हो रही है. 
  
सवाली - सो तो है. अच्छा ये बताओ दद्दू, ये सलात शुरू हो जाने के बाद से क्या नमाज़ बदल गयी है. जो लोग अब तक नमाज़ पढ़ रहे थे, क्या उनकी नमाज़ें जाया हो जायेंगी?
ख्याली - क्यों हो जायेंगी बे? नमाज़ तो वही है न. और अगर नमाज़ें अलग भी हों, तो खुदा तो वही है न.

सवाली - तौबा करो दद्दू. खुदा नहीं अल्लाह बोलो. पुरानी आदत है न. जाते- जाते ही जायेगी. वैसे शुक्र मनाओ, खलीफा बगदादी के किसी चेले ने सुन नहीं लिया, वरना सर कलम हो जाता अभी. अच्छा, ये बताओ, जब ख़ुदा वही है तो फिर मस्जिदें अलग- अलग क्यों हैं?
ख्याली - क्यों? दलितों के मंदिर और गुरुद्वारे अलग- अलग हो सकते हैं, प्रोटोस्टेंट और कैथलिक के गिरजे अलग हो सकते हैं. तो फिर शिया-सुन्नी या देवबंदी- बरेलवी की मस्जिदें अलग क्यों नहीं हो सकतीं?

सवाली - लेकिन हज़रत ने तो बराबरी का पैगाम दिया था. फिर ये फिरके?
ख्याली - दिया था. बिलकुल दिया था. तो राम ने क्या छुआछूत का पैगाम दिया था? उन्होंने तो शबरी के जूठे बेर खाकर निषाद को गले लगाया था. जीसस ने क्या यहूदियों को गैस से और जापानियों को परमाणु बम से मारने को कहा था? उन्होंने तो प्रेम और करुणा का पैगाम दिया था.  कुछ हिस्ट्री पढो बेटा. काम आएगी.

सवाली - हिस्ट्री क्या पढ़ें दद्दू, हिस्ट्री की किताबों में या तो राजा है, या उनके द्वारा लड़ी गई लड़ाइयाँ.
ख्याली – अच्छा , बहुत हो गया. ज्यादा फिलोसफी मत झाड. मुझे नमाज़ पढने जाना है.

सवाली-  नमाज़ नहीं दद्दू, सलात.
ख्याली- चुप कर बे. बड़ों से बहस करता है.

(ख्याली अपना जानमाज़ यानि मुसल्ला यानि सज्जादा निकालकर मगरिब की नमाज़ यानि सलात अल मगरिब पढने चल देता है)